परिवारिक चुदाई कहानी, Pariwarik Chudai kahani,

Pariwarik Chudai kahani,

अब क्या कहूँ. मेरी उमर 21 साल है, मेरे घर में मेरे साथ चार और लोग रहतें हैं. एक मेरा भाई सतीश जो 20 साल का है, मेरी बहेन, पूजा, जो 19 साल की है, मेरा बाप, आकाश, 45 साल का और मेरी मा, रीता जो एक महीने में 40 साल की हो जाएगी.

ज़रा उनके बारे में कुछ बताओं. जब से मैं होश संभाला, मुझे छोड़ने ओर चुदाई से बड़ी दिलचस्पी रही. जब भी मौक़ा मिलता चुप कर मा और बाप को छोड़ते देखता. ये मौक़ा मुझे ज़रा ज़्यादा ही मिलता था, इसलिए के दोनो लघ्हभाग टीन चार बार एक हफ्ते में छोड़ा करते थे.

मेरा बाप एक इंजिनियर है, क़रीब ही एक फॅक्टरी में काम करता काफ़ी अछी पोस्ट पर. स्का बदन बड़ा तगड़ा और भरपूर है, अक्सर कसरत करने की वजेह से काफ़ी तन्डरस्ट रहता है. उस का लंड बिल्कुल मेरे ही तरह है, कुछ सात या आत इंच की लंबाई और मोटा भी काफ़ी है. उस की चुदाई भी बड़ी तगड़ी रहती है, एके वो दोनो अक्सर एक घंटे से ज़्यादा छोड़ते रहते हैं. मगर मुझे हमेशा से तोड़ा शक रहा के मेरी मा का सेक्स ड्राइव कुछ ज़्यादा ही है. वो हर बार एक और बार की रिक्वेस्ट लगती रहती. कभी कभी मेरा बाप उसे दो टीन बार छोड़ते मगर अक्सर एक ही बार में वो दिन भर की थकान से मजबूर हो जाते.

मेरी मा भी काफ़ी तगड़ी है. घर का काम स्मभालती है अकेले और उसमें एक पर्सेंट भ चर्बी नहीं है. टिट्स देखो तो दो बड़े बड़े तरबूज़ की तरह, लगते भी सक़त हैं और उन में कोई सॅगिंग भी नहीं है. गांद काफ़ी बड़ी और गोल. रंग गोरा और स्किन बड़ा सॉफ है. कपड़े पहने हुए या नगी कोई ये नहीं कह सकता के वो टीन जवान बचाओं की मा है. डोर से तो मुझे ऐसा लगता है के उसकी छ्होट भी बड़ी टाइट है. अट लीस्ट मेरा बाप उसके तंग छ्होट की तारीफ किया करता था.

मेरा भाई, जो मुजसे एक साल छोटा है, मेरी ही तरह कसरत करता है. उसका बदन भी तगड़ा है और लंड भी बिल्कुल मेरी ही तरह लंबा और मोटा. मगर ये तो मुझे पिछले ही महीने पता चला के उसे लड़की से ज़्यादा ल्डकाओं से दिलचस्पी है. पहले तो बड़ा गुस्सा आया मगर फिर सोंछने लगा के हर एक को अपने अप सोंछने का अधिकार होना चाहिए. और वैसे भी मैं कौसा शरीफ क़ायल का था, मेरा भी मान अपनी ही मा को छोड़ने के बारे में सोनचा करता. और अपनी नहें को भी.

मेरी बाहें बिल्कुल मेरी मा की तरह है, गोरी और लंबी, मगर ज़रा दुबली. टिट्स भी छोटे हैं मगर गोल गोल, और उस की गांद तो बस ऐसी की आदमी डेक्ते रह जायें. आजकल बाल कटा रखी है और भी सेक्सी लगती है. जब बन संवार के आती है तो मेरा लंड बस उसे प्रणाम करने खड़ा होजता है.

मैं कॉलेज में सेकेंड एअर इंजिनियरिंग कर रहा हूँ, सतीश पहले साल में है. पोज़ा पुक कर रही है और उसका डॉक्टर बनने का खाब है. पढ़ाई में हम सब काफ़ी अकचे हैं और घर का महॉल खूब अक्चा ही रहता है.

पूजा की 18 साल की बर्तडे माना कर एक महीना गुज़रा था के मा बाप ने सब को एक साथ लिविंग रूम में नुलाया.

बापू नें सब से पहले सब को भात्ने के लिए कहा, जब सब भइत गये तो कहने लगे: “अब मैं तुम से जो बात कहने जेया रहा हूँ वो शायद ही किसी घर में कही गयी होगी, मगर तुम सब अब बड़े होगआय हो. पूजा भी अब 18 साल की होगआई है….”

उन्हो ने रुका और में कुछ परेशान होने लगा आखेर क्या प्राब्लम हो सकता है.

“तो सब से पहले मैं तूँ से एक अनोखा सवाल करना चटा हूँ. उस का बिल्कुल सच जवाब देना, बिल्कुल बिना डरे. कोई घुस्सा नहीं होगा. ठीक है?”

हम सब अपना सर हिलाया.

“चलो ठीक, सब से पहले मैं बड़े से शुरू करता हूँ. राज… बताओ के तुमहरा ध्यान कभी छोड़ने की तरफ जाता है?”

मैं सापाते में आगेया. भाई ये कैसा सवाल है जो अपना बाप बेटे से करता है. मैं ने धीरे से जवाब दिया के हन, छोड़ने पर ध्यान जया करता है. और मेरे बापू को मुस्कुराते देख कर तोड़ा हिम्मत भी बड़ी.

“और जाना भी चाहिए.” उन्होने कहा. “जवान हो, लंड है, औरत को देखोगे तो ध्यान उस तरफ जाएगाना? ये बताओ, कभी अपने घर वलाओं को चोदने की तरफ ध्यान गया?”

मेरी आँखें बड़ी होगाएँ. “जी?” शायद मैं ने घालत सुना है.

“हन, तुम्हारी मा कोई बुड्सुरत बूढ़ी तो नहीं है, अभी काफ़ी सेक्सी है और एक बाहें भी जिस को देखकर मुर्दे का भी लंड खड़ा होज़ाये. क्या कभी उनको छोड़ने को मान कहा.”

“जी हन.” मेरी आवाज़ एक जकड़े हुए चूहे की तरह थी.

“किस को? रीता को या पूजा को?”

“दोनो.”

“बहुत अक्चा.” उन्होने सतीश की तरफ प्लाटा तब मेरे जान में जान आई. “सतीश, ये बता तेरा का हाल है.”

सतीश ये सब सुन कर ज़रा मुझसे ज़्यादा बोल्ड होगआया था. “बापू पता नहीं, क्बाही क्बाही आता कभी मुझे लड़कियाओं से कोई दिलचस्पी नहीं लगती. मैं कभी कभी कोई लंड देखता हूँ तो मुझे वो छूट से अक्चा लगता है.”

“ह्म. ये तो तो तिझे पता लगाना पड़ेगा के कहीं तू गे तो नहीं. वैसे अगर हो भी तो कोई बात नहीं. ह्म. पूजा बेटी तू बता अब.”

पूजा सब से छोटी होने के नाते बड़ी चंचल थी. उसने मुस्कराते हुए कहा. “बापू मुझे तो हर लड़के को देख कर छोड़ने का ख़याल आता है. और घर बात, मैं ने काई बार ध्यान ही ढयन में अब सब से छुड़वा लिया है. और आप का लंड भी एक बार देखा है मैने.”

“ह्म, चलो बात सब सामने आगाय.” वो भी कुर्सी पर भइत गये. “सच तो यह है के हमारा खून ही कुछ ऐसा है. मैं भी अपनी जवानी में अपनी मा और बाहें को खूब छोड़ा है. और रीता का भी मान करता है वो अपने बाकचाओं के लंड रस चख ले. हम यह सोंच रहे हैं की छोड़ने छुड़ाने का सब को मान करता है, इस पहले हम नाहेर जेया कर छोड़ने लगे, पता नहीं कैसी कैसी बीमारियाँ लगले हम सब घर में ही क्यों ना बात को रकखें?”

“क्या हम बाहर वेल से कोई रिश्ता नहीं रख सकते?”

“क्यों नहीं? तुम सब को शादी तो करना ही है. मगर मैं ये चाहता हूँ के चुदाई घर तक ही रखें, जब शादी जो जाए तो तू पाने हज़्बेंड के साथ छोदवालिया करेगी और ये लोग अपनी बीवीयाओं के साथ. तब तक सिर्फ़ घर में.”

“जी बापू.” मैं बड़े भोलेपन से कहा.

“लेकिन बापू, आप ने तो अपने बारे में नहीं बताया?” पूजा ने कहा.

“अछा, क्या जान ना चाहती है?” बापू मुस्कराते हुए पूछा. “हन, तुझे देख कर मान तुझे छोड़ने को करता है. बस एक बार तुझे अपने सामने घुटने टेक कर मेरे लंड को अपने मून में लेते देखूं तो मज़ा आजाए.”

“ची बापू, लंड मून में थोड़ी ही लेते हैं.”

“अरे मेरी जान, लंड तो जर जगह लेते हैं. मून में, गांद में, छूट में. और तेरी मा तो इस तीनों की एक्सपर्ट है. तुझे सिकड़ेगी.”

“सच? सिख़ावगी मा मुझे लंड के बारे में?”

“हन क्यों नहीं. मगर पहले ज़रा बात तो पूरी हो जाने दे.”

“और क्या बात रह गयी है?”

“कुछ रूल्स.” बापू ने कहा. “सब से पहले के हम जब सूब अकेले में होंगें तो एक दूसरे के सामने नंगे रहसकते हैं. दूसरी ये बात किसी और को पता नहीं चलना छाईए. कोई एक दूसरे के साथ ज़बरदस्ती नहीं करेगा.”

“मंज़ूर.” हूँ सब ने एक आवाज़ हो कर कहा.

“तो आज रात के खाने के बाद तेरी मा तेरे सामने मेरा लंड चूस्के बताएगी के लंड कैसा चूसा जाता है.” हम सब खाने पर लग गये. मेरा लंड तो बस सोने का नाम ही नहीं लेता, और देख रहा तट के बापू और सतीश के पॅंट्स में भी यही हाल था. हम सब खाने के बात लिविंग रूम में फिर एख़ता हुए. मा ने बीच कमरे में खड़े हो कर कहा: “चलो सब अपने कपड़े उत्ार्डो. ज़रा मैं भी देखूं के मेरे बेटाओं के लंड कैसे लगते हैं.

जूम सब नंगे होगआय. टीन खड़े लंड दो और्ताओं को प्रणाम करते रहे. मा नें पहले मेरा लंड अपने हाथ में लिया, बड़ी प्यार से उसे स्ट्रोक करते हुए कहा: “राज तू तो अपने बाप से भी हॅंडसम है. ज़रूर तेरा वाला ज़्यादा मोटा और लंबा है.”

फिर मा सतीश की तरफ मूढ़ कर उसका लंड को पूजने लगी. मैं बापू की तरफ देख रहा था. उसका लंड मेरी बाहें के हाट में था, और मेरी नज़र मेरी नहें की सक़त और गोल गांद पर. दिल चाह रहा था के उसकी गांद पकड़ कर आम की तरह दबाऊं. शायद बापू मुझे देख कर मेरी सोंच का अंदाज़ा लगालिया और कहा: “अरे राज, सिर्फ़ देखता क्या है, पकाड़ले उस की गांद, चूमा ले.”

मैं बादने ही वाला था के मेरी मा बोल पड़ी: “नहीं. आज तुम बाप बेटी मज़े लेलो. आज तो ये दोनो लंड मेरे हैं. इन्हे तो मैं एक साथ लूँगी, क्यों रे राज, छोड़ेगा नहीं अपनी मा को. सतीश, क्या कहता है. क्या तुम दोनो को में आक्ची नहीं लगती?”

“क्या कहती हो मा, तुम तो किसी से कम नहीं. मेरा लंड तो तुमहरा है.”

“हन तो फिर आजओ दो क़रीब, पहले दोनो को चूज़ कर तुमहरा रस पीलून. वैसे भी लगते है के ये ज़्यादा देर तक रहने वेल नहीं हैं, और मुझे तो देर तक छुड़वाना है. पहले एक बार रस निकालदून तो दूसरी बार देर तक छोड़ सकोगे.”

वो अपने घुटनाओं पर आके हम दोनो भाइयों के लंड को स्टोक करने लगी. फिर पहले मेरे लंड को अपने मून में लिया और पलट कर कहा पूजा से. “देख पूजा, लंड ऐसा मून में लेते हैं.”

मेरा लंड उसके मून में नाहुत अक्चा लगा, मैं उसके मून का मज़ा लेता रहा आँकें बंद करके. वो दोनो को छ्होसने लगी, जब ऐसा लगता के मेरा लंड झड़ने वाला है तो वो मेरा लंड को छोड़ कर सतीश का लंड संभालती, फिर जब वो ग्रंट करने लगता तो मेरे लंड. उधर पूजा पहले तो ज़रा दर दर कर फिर, जैसे बापू उसे बताते गये और वो मा को डेक्त्ी रही तो ऐसे चूसने लगी के जैसी साल्ाओं से चूस रही हो.

मा ने उस से कहा. “ज़रा संभलकर बेटी, लंड को जितनी देर तक नहीं झड़ने डोगी यूटा ही मज़ा तुझे भी मिलेगा और उन्हे भी. जब वो कहें के झड़ने वाला है तो तू उसे छोड़ कर कहीं चूमे ले, और जब वो कहें के वो नहीं रुक सकते तो अपने मून में ले और उनका रस पीजा.”

बुत ऐसा लग रहा था के मेरी बाहें को कुछ लेसन्स की ज़रूरत नहीं थी वो तो बड़े मज़े अपने बाप का लंड चूज़ रही थी. इधर स्तैश झड़ने ही वाला था मेरी मा मेरा लंड को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी, और दोनो लंड को एक एक हाथ में लेकर स्टोक करती रही पानी मून के क़रीब लेजकर. पहले सतीश फिर मैं दो पानी के ताप की तरह खुल गये, जितना होसका मा अपने मों में लिया, और बाक़ी का अपने बड़े बड़े बूब्स पर गिरने दिया और अपने स्किन में क्रीम की तरह लगाने लगी. हम दोनो ख़तम ही नहीं हुए थे के उधर पूजा की चीक़ सुनाई डी. बापू ज़ोर दर आवाज़ के सात अपना लंड उसके मून में अंधार बहेर छोड़ रहे थे. और झाड़ रहे थे, कुछ दूध निकालकर पूजा के मून के कॉनाओं से बाहर भी आरहा था.

जब हम तीनाओं सोफे पर बैठ गये तो मा ने कहा. “क्यों पूजा बेटी, अब भी कहो गी ची मून में नहीं लेगी?”

“नहीं मा. बापू का जूस बड़ा मज़ेदार है. ले तो मून में रही थी मगर मज़ा मेरी छूट तक पहुँच रहा था.”

“हन बेटी, चाहे किधर भी लंड हो, आखेर मज़ा छूट में ही पहुँचता है. और सच पूछो तो जब तक तींोआन सुराक़ओं में लंड का रस ना पड़े तब तक चुदाई पूरी हो ही नहीं होती.”

“ऊई मा! क्या इतना बड़ा लंड मेरी गांद में आएगा? इसे तो अपने छूट में आने के सोंच कर दर लगता है.”

“छूट में भी आएगा, बेटी, और गांद में भी. हन यह ज़रूर है के पहली बार तुझे दर्द होगा. छूट में उतना नहीं मगर अगर छोड़ने वाला अनारी ना हो तो वो तुहजे आहिस्ता आहिस्ता लेजाएगा. और तेरा बाप कोई अनारी नहीं. वो तो मेरी मा की गांद तक मारा है.”

“सच बापू?”

“ये सब कहानियाँ बाद केलिए. अब ज़रा लंड फिर चूस कर मुहज़े तय्यार कर के मैं तेरी छूट का ँज़ा लून.”

मा ने कहा: “हन ज़रा चुदाई हो ही जाए. और सब बैठ कर देखेंगे. बाप बेटी का मिलन पहली बार तो देखने खाबील होगा, और जब बेटी की पहली चुदाई हो तो फिर क्या बात. क्यों बाकचो रुक सकोगे उतनी देर तक.”

सतीश ने कहा: “मा हमेरी लिए तो सारी रात पड़ी है. पूजा की पहली चुदाई तो फिर खाबी नही मिलेगी.”

मैं के कहा: “और फिर मा, तुझे छोड़ते हुए भी पहली बार होगा और बापू को ये मज़ा तो देखना चाहिए.”

“तो ऐसा करतें हैं की हम अपने कमरे में चलेजायें. वहाँ ज़रा अर्रम मिलेगा.”

हम सब मा और बापू के कमरे की तरफ लपके. वहाँ बापू ने पूजा को बिस्तर पर लिटाया, पहले आहिस्ता से उसकी तँगाओं को अलग किया, अपनी उंगली उसके छूट डाली और फिर अपने मों में लेकर कहा: “यार रीता यह तो गरम और रसेली है. बड़ी मज़ेदार भी है.”

“क्यों नहीं रहेगी. आख़िर बेटी किस की है. और फिर जवान लड़की का रस रस तो और नशेला होना चाहिए ना?”

बापू कुछ देर तक तो अपनी उंगली से छोड़ते रहे. फिर मा के कहने पर झुक कर पूजा की छूट पर अपना मून मार दिया. बस क्या पूछना था के पूजा जैसे ट्रॅन्स में आगाय हो. वो ना जाने क्या कह रही थी, बात कुछ समझ में नहीं आरही थी. बस उसके मून से बापू बापू समझ आरहा था. हम ये तमाशा देखते रहे. क़रीब आधा घंटा बापू ने उसकी छूट चूसी, और फिर लंबी लंबी साँसे लेकर अपना चेहरा हम दिखाया. उनकी पूरी नाक से नीचे गीली थी. पूजा आधी बेहोश पड़ी आवाज़ें निकलराही थी.

इसके बाद जरूर पढ़ें  छोटे भाई को बेवकूफ बनाया और फिर क्या किया पढ़िए

“तोड़ा बाकची को संभालने ने टाइम दो आलाश. हन बड़ी आक्ची छूट खाई है. यार इस तरह मेरी छूट छाते हुए साल गुज़र गये.”

मैं फ़ौरन केहदला: “मा हम जो हैं अब तेरी छूट चाटने केलिए. बस कह कर देख हम तेरी रसेली छूट रात रात भर चतेग्ीएँ.”

“जुग जुग जियो बाकचो.”

अब बापू ने अपना लंड अपने हाथ में संभाल कर पूजा की छूट की तारा लेगाए. उसकी छूट के दावरज़े पर लंड रख कर अंदर डालने लगे. पूजा ने आँकें खोल डी. “ओह बापू कितना बड़ा है आपका का लंड. ज़रा धीरे से. नहीं…. नहीं…. जल्दी से. तोड़ा और अंदर डालो.”

बापू ने फिर एक झटके के सात अपना पुया लंड पूजा के छूट डाल दिया. पूजा आ ज़ोरदरा चीक़ मारी और बापू से लिपट गयी. “ओह बापू दर्द होता मगर अक्चा भी लगता. बापू तूने मेरी छूट भार्डी, ओह बापू कितना अक्चा लगता है तेरा लंड मेरी छूट में.”

उसकी साँस फहोलने लगी और बापू उसकी छूट के अंदर बाहर होते रहे, थोड़ी देर के बाद उन्हो ने पाना पोज़ बदला, वो नीचे आगये और पूजा उनके छाती पर हाट रख कर आहिस्ता आहिस्ता उपर नीचे होने लगी. उसका ये रूप बड़ा सुहाना था, उसके माममे इनटी सेक्सी स्टाइल से तरकते के में देखते ही रह गया. मा शायद मेरी तरफ देखा, इसलिए कहा. “बड़ी जानदार छाती है ना पूजा की, बिल्कुल मेरी ही तरह जब मैं उस उमर की थी.”

कुछ देर बार बापू फिर पलते, वापस पूजा को नीचे लेकर इस बार ज़ोर ज़ोर से छोड़ने लगे. अब दोनो ही आवाज़ें निकलरहे थे. बापू किसी शेर की तरह हर झटके के बाद घ्रते और पूजा कभी आय मा, क्बाही बापू काहबी छोड़ो केटी. एक बार बापू ने दोनो हटाओं से उसके टिट्स को पकड़लिया और अपने होन्ट उसके होन्ट उस के होन्ट के खरीब लेजकर टूटती हुई सांस से कहने लगे. “ले मेरी बेटी, अपने बाप का शेरबात अपने छूट में सम्ब्हल”

पूजा एक ज़ोर दार आवाज़ से चीलाया “बपुउुुुुउउ……” और उसका बदन अकड़ गया. ऐसा लगता तट के वो दोनो इसी पोज़ में रात गुज़र देगें. फिर बापू आहिस्ता आहिस्ता अंदर बाहर होते हुए अपने सॉफ्ट होते हुए लंड को बेर निकाला. बापू की साँस अभी भी उखड़ी हुई थी. में पूजा की छ्होट को देख रहा था, जिस के होन्ट अब भी कुलराहे थे फिर बंद होरहे थे. बापू का सीमेन उस में से निकल रहा था. उसकी छूट गहरी लाल थी. मैं ने सोनचा की मैं भी इस की छ्होट का ये हाल करूँ गा, मैं अपना रस उसके छूट में से निकलता देखना चाहता था. मगर पहले मैं अपनी मा की छ्होट को इस से भी ज़्यादा लाल करना है.

एक लंबी साँस लेकर मा की तरफ मुड़ा. “मा, मुझे ऐसा ही तुझे छोड़ना है.”

“हन मेरे बाकचो, आओ. आज दोनो एक के बाद एक मुहज़े छोड़ो. मैं ने पहले सोनचा था तुम दोनो को एक साथ लूँगी, मगर अब सोचती हूँ आग्र एक के बाद एक दो टीन बरी छोड़ोगे तो और मज़ा आएगा. ना तुम्हारे लंड कहीं भागे जारहें हैं ना मेरी गांद.”

“दो टीन बरी?”

“हन पहले सतीश मुझे छोड़ेगा, फिर जब वो ख़तम हो जाए तो तुम आना मेरे अंदर, तब तक या तो पूजा सतीश का लंड चूस्के उसे खड़ा करेगी या वो खुद ही अपने को खड़ा करलेगा. जवाब हो, टीन चार बार एक रात में तो छोड़ ही सकते हो.”

मैं ग्रीन कर रहा था. “तो सतीश, भाय्या शूरू होज़ा.”

“आ बेटा सतीश, लंड मेरी छूट में डाल और मेरी निपल्स अपने मून में.”

पूजा, बापू और मैं डेक्ते रहे, सतीश मा को छोड़ता रहा, मा उसे दीरेसए छोड़ने केलिए कहराहि थी और वो तो बस आ बिना ब्रेक की ट्रेन की तरह जा रहा था. मैं ने पूजा के तरकते हुए बूब्स देखे थे, मा के तो उस से भी ज़्यादा तरकरहे थे और सेक्सी भी थे. सतीश ज़्यादा देर तक ना रह सका, वो सिल्लाता हुआ एक झटका दे कर अपनी सीमेन मा की छूट में डेपॉज़िट करने लगा. मा उसे देख कर मुकरा रही थी. मैं मा के उपर चाड़गाया. मुझे तो मा को आहिस्ता आहिस्ता मज़े लेके छोड़ना था. मैं आहिस्ता आहिस्ता उसे छोड़ता रहा. मा आहें भारती रही छोड़ने को एनकरेज करती रही.

“हन मेरे शेर, मेरे मोटा लंड वेल. लंबे लेम स्टोक्स लगा. मेरे टिट्स को कस के पकाड़ले. और दबा, ज़ोर से दबा.” मेरी मा ंजूहे छोड़ने के सीक्रेट्स सिखाती रही. “हन बहुत अकचे बेटा. अब आहिस्ता से सर तक लंड बाहर निकल… आहिस्ता… हाँ रुक जा…. ऐसे के सोंच रहा हो के इस छ्होट को लंड दे या ना दे. अब एक ज़ोरदार झटके के साथ पुर लंड को डालडे. नहीं बेटा, डरता क्यों है, छूट फटेगी नहीं, कुछ दर्द नहीं होगा. ज़ोर से एक झटका मार के पूरा पलंग हिलजये. पलंग तोड़ झटका मार.”

मैं अपने हाथाओं से पलंग पर शरा लिया और मा के कहने स्टाइल से एक ज़ोरदार झटका लगाया. मा का बदन, स्पेशली उसके टिट्स ऐसे हिल गये जैसे के अर्तक्वेक आगया हो. मा ने चीक कर हहा: “हन मेरे शेर, ऐसा ही छूट फाड़ने वेल झटके मार.” बापू, पूजा और सतीश पलंग छोढ़ कर हट गये और ठहेर कर देखने लगे. “वा मेरे बेटे, छोड़ अपनी मा को जैसे मैं उसे जवानी में छोड़ा करता था.” मेरे बाप ने चीलाया. पूजा ने कहा: “वा भाय्या, और फिर ऐसा ही झटका… वाउ”

मैं इतनी एनकरेज्मेंट मिलने पर और भी शेर हुआ. लगातार लंड को बाहर तक निकलता और ज़ोरदार झटके के सात पूरा अंदर डाल देता. मा के ये हाल के वोपता नहीं क्या बक रही थी, में अपने काम में मगन रहा. इतना करता रहा के दोनो पसीने से भर गये और जब मैं मा की छूट में फटा तो वो आधी बिस्तर से उठते हुए मुझ से चिमत गयी. अब वो भी अपनी कमर मेरी लंड की तरफ ज़ोर से दबा दिया.

जब उसे छोढ़ कर हटा तो उस की छ्होट लाल थी, वोही नहीं बलके पूरा गोरा गोरा बदन लाल था. उसे हाँपते हुए छोढ़ कर मैं ज़मीन पर लाइट गया. पूजा ने आ ग्लास पानी का मुझे दिया ओहिर मा को भी पिलाया, वो एक घहॉन्ट पी कर वापस लाइट गयी और सतीश उस पर टूट पड़ा.

बापू ने कहा: “पूजा, देख तेरा भाई कैसा पड़ा है, जेया उसके लंड को चूस कर पहले तो अपनी मा के रस का मज़ा ले और ज़रा उसे सॉफ भी कर.”

मा उधर फिर अपने दूसरे बेटे की लंड पर ऑर्गॅज़म हो रही थी. यहाँ पूजा ने आहिस्ता आहिस्ता अपनी ज़बान से मेरे लंड को निहारा. बड़ा अछा लग रहा था उसका इसतरह लीक करना. फिर वो उपर आकर कहने लगी. “भाय्या, अब मुझे भी वैसा ही छोड़ो प्लीज़.”

“नहीं पूजा. तुझे पता है ना आज सिर्फ़ मा के लिया है. लायकिन वाडा करता हूँ के कल की रात तेरे नाम करता हूँ.”

वो बापू की तरफ पलट गयी: “तो बापू ओफ़िर तुम ही मुझ छोड़ो. बहुत गरम हो रही हूँ.”

बापू का लंड न्ही अब खड़ा हुआ था, वो तो उसे ज़मीन पर ही छोड़ने लगे. उधर सतीश अपना रस मा की छूट में डाल कर हंम्प्ता हुआ मेरे बाज़ू लाइट गया. मैं अब फिर तय्यार था. मा मुझे आते देख कर धीमी सी आवाज़ मे कहा: “नहीं बेटा अब तोड़ा आराम करने दे, छूट जल रही है मेरे दो शेरावं के लंड से.”

“मा तू तो रात फार छुड़वाने वाली थी. यह क्या एक ही बार में दर गयी.”

“अब मैं इतनी जवान कहाँ बेटा… जवान होती तो तुम तीनों को सुबे तक आदमारा छोढ़ती. आग्र लंड आकड़ा हुआ ही है तो चल गांद ह्िॉ मार ले. मगर तोड़ा उंगली से तय्यार कर पहले.”

मैं अपनी मा की छूट मैं उंगली डाल कर गीला किया और उसे उस की गांद में डॉल कर अंदर बाहर करने लगा. उतनी दायर ना लगी और जब अपनी लंड उस में डाल दी तो ऐसा लगा जैसे लंड को कोई मुति में कस के पकड़ लिया हो, बड़ी टाइट थी और गरम. मई अपने हाट आयेज करके मा के टिट्स को पकड़ कर मातने लगा और औकी गांद मरता गया. पता नहीं कितना वक़्त गुज़र गया, मगर जब मैं झड़ने लगा तो मज़ा पहले सी ज़्यादा आया. हम दोनो फिर लाइट कर एक दूसरे को किस करने लगे. उस के सूजे हुए माममे और भी बड़े लग रहे थे. उस का सूजे हुआ हिंट, आँकें, काली काली आँकें जो नशे में लग्रा थी.

उधर बापू भी एक बार फिर चिल्लती हुई पूजा में झाद्राहे थे. इधर मा उठी और हम सब से कहा के अब सब अपने कमराओण में चलें जायें. वो तक गयी थी.

पूजा ने नूरा सा मून बनाया. “मुझे और छुड़वाना है मा.”

“तो जेया अपने कमरे में लेजकर अपने भाइयों से चुदवाले.”

हम सब मेरे कमरे में गये, पूजा को मैं ने कहा के पहले सतीश से छुड़वा ल्व फिर मैं पलंग तोड़ छोड़ूँगा. मुझे तोड़ा सुसताना भी था और में अपनी बाहें को पहली बार ठीक तरह से सुबे तक छोड़ना था.सतीश भी काफ़ी दायर तक उसे छोड़ता रहा. जब उसने अपना रस अपनी बाहें में छोड़ कर हटा तो मैं तय्यार था. मैं पूजा को पलटा कर पीछे से लेने लगा. उसके बाल पकड़कर कुट्टी की तरह छोड़ने लगा. “अक्चा लग रहा है भाई का लंड अपनी छूट में?”

“हन भाय्या, बॉल ज़ोर से खीँचो, काटो मुझे. बड़ा मज़ा आरहा है.”

उसके पीट पर अपने दाँत मारे. वो तिलमिला कर और ज़ोर से मेरी तरफ होने लगी. मैं उसकी गांद पकड़ कर मसलता हुआ छोड़ता रहा. “ओह राज… बहिय्या क्या क़ूब छोद्राहे हो. मेरी जान मैं आराही हूँ. मेरी जान…..”

मैं तो एशिया था के एक घंटा और छोड़ने पर तुला हुआ था. सूरज अब निकालने ही वाला था, मगर इस की किस को परवा. मैं छोड़ता रहा, वो इस तरह ऑर्गॅज़म हो रही के जैसे समंदर की वेव्स, एक बार उस का ऑर्गॅज़म ख्तम भी होने ना पाता के दूसरा शुरू होजता.

“भाय्या. राज मुझे पलटने दो. हन मुझे किस करके छोड़ो. पकडो मेरी माममे. मसल दो मुझे मेरे बदन को. हन ऐसा ही, ग्रर्ग… राज… राआाज.”

इस बार जो मैं शूट किया तो ऐसा लगा जैसे रुकने वाला नहीं. काई मिनिट तक मेरा लंड उसके छूट में थरथरता रहा. आखेर में अपना मुरझा हुआ लंड निकाल कर पूछा.

“क्यों पूजा, कैसा रहा?”

वो धीमी सी आवाज़ में कहा: “तुम बताओ राज, तुम्हे बाहें की छ्होट कैसी लगी.”

“ज़बरदस्त. ऐसी टाइट है तू और गरम. बस मज़ा तो तेरी छूट चूस कर बताओंगा.”

“कल चूसना. आज तूने मुझे तका ही दिया.”

“सोजा… मुझे भी लंबी नींद मारनी है.”

* * *

मैं दोपहेर तक सोता रहा. क़रीब एक बजे मा मेरा लंड चूस कर मुझे उठाया. मुझे उठा देख कर कहा: “चुप से पड़े रह. मुझे अपना रस पीला.”

हमारी ज़िंदगी इस तरह गुज़रती रही. पहली रात का छोड़ना आहिस्ता अहसता ज़रा कुछ ठीक होने लगा. मगर यह ज़रूर था दोनो औरताओं को कभी कूंडकि कमी नहीं हुई, ना ही हम को कभी छूट की कमी नहीं पड़ी. मा तो बस तीनाओ के पास बरी बरी सोया करती. पूजा मगर बिल्कुल न्मयफ़ो बांगाई, वो अब्पू से छुड़वा कर मेरे पास आती. फिर सतीश के पास जाती.

एक दिन सतीश के कहने पर मैं उसकी गांद भी मारा. वो कहता के उसे गांद मरवाना अक्चा लगता था, माग्र छोड़ना भी अक्चा लगता था. वो तो बाइसेक्षुयल निकला. मैं पूजा की गांद कभी नहीं मारी. वो तो ये कहती थी के अपने पति के लिए कुछ तो कुँवारा रख ना चाहिए.

मैं इंजिनियरिंग की डिग्री के बाद स्कॉलरशिप पर स्टेट्स चला आया. मेरे पीछे सतीश भी आगेया. हम ने बहुत सारी लड़कियों छोड़ा. स्पेशली गोरियों को. मगर अट लास्ट मुझे अपनी लाइफ पार्ट्नर मिल गयी. एक बड़ी लंबी और सेक्सी गुजराती लड़की जो मेरे से एक साल नीचे थी और फिलॉसोफी में मास्टर्स कर रही थी. उसके फॅमिली यहाँ काई साल पहले शिफ्ट होगआय थे. दोनो में बड़ी केमिस्ट्री थी. हम अक्सर सात रहा करते, घूमने फिरने भी साथ जाते.

और तो और, मुझे छोड़ते वक़्त जब हम फॅंटसीस की बातें करने लगे तो वो मुझे बताया के वो सतीश और मेरे साथ एक साथ छुड़वाने की फॅंटेसी देखा करती थी. इस पर तो मैं बहुत खुश हुआ. उसे अपने घर वलाओं के बारे में बताया, किस तरह हम फ्री रहते थे.

दूसरे दिन हिज़ वो सतीश का लंड चूस रही थी और मैं उसे छोड़ रहा था. जब हम शादी करके घर आए तो बापू ने उस के छूट का मज़ा लिया. पूजा की भी शादी हो चुकी थी, मगर उसका हज़्बेंड ज़रा पुराने ख़याल का था. इसलिए जब वो घर हम से मिलने अकेले आई तो अक्चा लगा.

“वैसे भी भाय्या. एक चीस तुमेह देनी थी.”

“अक्चा? क्या?”

“तुम ने मेरी गांद नहीं मारी, बहुत चाहते थे ना. चलो अब वो कुँवारी भी नही और मुझे उस मज़ा भी लग गया है. अगर भाबी को कुछ प्राब्लम ना हो तो आज मेरी गांद लेना.”

सब लोग हमारे अतराफ् खड़े रहे, मैं अपनी छोटी बाहें की गांद खरीब दो घंटे तक मारता रहा. इस बार मज़ा ही कुछ और था.

हम वापस सट्तेस आगाय. कभी क्बाही सतीश हमारे साथ आकर रहता है. तीनो आज भी बड़े मज़े लेते हैं. अब मेरे दो बाकछे हैं. सतीश ने शादी नहीं की.

मा आज भी उतिनी ही सेक्सी लगती है जैसे के पहले थी. जब वो हमारे साथ रहने आई जब बीवी प्रेग्नेंट थी तो बड़ा सहारा मिला. यही के कोई घर पर उस की देख बाल केलिए था और फिर मेरे लंड अकेला भी बहिन पड़ता.

मा वापस चली गयी और हम यहाँ हँसी खुशी रहते हैं. अब क्या कहूँ. मेरी उमर 21 साल है, मेरे घर में मेरे साथ चार और लोग रहतें हैं. एक मेरा भाई सतीश जो 20 साल का है, मेरी बाहें, पूजा, जो 19 साल की है, मेरा बाप, आकाश, 45 साल का और मेरी मा, रीता जो एक महीने में 40 साल की हो जाएगी.

इसके बाद जरूर पढ़ें  टिक टॉक बंद होने की वजह अपने से आधे उम्र के लड़के से चुद गई

ज़रा उनके बारे में कुछ बताओं. जब से मैं होश संभाला, मुझे छोड़ने ओर चुदाई से बड़ी दिलचस्पी रही. जब भी मौक़ा मिलता चुप कर मा और बाप को छोड़ते देखता. ये मौक़ा मुझे ज़रा ज़्यादा ही मिलता था, इसलिए के दोनो लघ्हभाग टीन चार बार एक हफ्ते में छोड़ा करते थे.

मेरा बाप एक इंजिनियर है, क़रीब ही एक फॅक्टरी में काम करता काफ़ी आक्ची पोस्ट पर. स्का बदन बड़ा तगड़ा और भरपूर है, अक्सर कसरत करने की वजेह से काफ़ी तन्डरस्ट रहता है. उस का लंड बिल्कुल मेरे ही तरह है, कुछ सात या आत इंच की लंबाई और मोटा भी काफ़ी है. उस की चुदाई भी बड़ी तगड़ी रहती है, एके वो दोनो अक्सर एक घंटे से ज़्यादा छोड़ते रहते हैं. मगर मुझे हमेशा से तोड़ा शक रहा के मेरी मा का सेक्स ड्राइव कुछ ज़्यादा ही है. वो हर बार एक और बार की रिक्वेस्ट लगती रहती. कभी कभी मेरा बाप उसे दो टीन बार छोड़ते मगर अक्सर एक ही बार में वो दिन भर की थकान से मजबूर हो जाते.

मेरी मा भी काफ़ी तगड़ी है. घर का काम स्मभालती है अकेले और उसमें एक पर्सेंट भ चर्बी नहीं है. टिट्स देखो तो दो बड़े बड़े तरबूज़ की तरह, लगते भी सक़त हैं और उन में कोई सॅगिंग भी नहीं है. गांद काफ़ी बड़ी और गोल. रंग गोरा और स्किन बड़ा सॉफ है. कपड़े पहने हुए या नगी कोई ये नहीं कह सकता के वो टीन जवान बचाओं की मा है. डोर से तो मुझे ऐसा लगता है के उसकी छ्होट भी बड़ी टाइट है. अट लीस्ट मेरा बाप उसके तंग छ्होट की तारीफ किया करता था.

मेरा भाई, जो मुजसे एक साल छोटा है, मेरी ही तरह कसरत करता है. उसका बदन भी तगड़ा है और लंड भी बिल्कुल मेरी ही तरह लंबा और मोटा. मगर ये तो मुझे पिछले ही महीने पता चला के उसे लड़की से ज़्यादा ल्डकाओं से दिलचस्पी है. पहले तो बड़ा गुस्सा आया मगर फिर सोंछने लगा के हर एक को अपने अप सोंछने का अधिकार होना चाहिए. और वैसे भी मैं कौसा शरीफ क़ायल का था, मेरा भी मान अपनी ही मा को छोड़ने के बारे में सोनचा करता. और अपनी नहें को भी.

मेरी बाहें बिल्कुल मेरी मा की तरह है, गोरी और लंबी, मगर ज़रा दुबली. टिट्स भी छोटे हैं मगर गोल गोल, और उस की गांद तो बस ऐसी की आदमी डेक्ते रह जायें. आजकल बाल कटा रखी है और भी सेक्सी लगती है. जब बन संवार के आती है तो मेरा लंड बस उसे प्रणाम करने खड़ा होजता है.

मैं कॉलेज में सेकेंड एअर इंजिनियरिंग कर रहा हूँ, सतीश पहले साल में है. पोज़ा पुक कर रही है और उसका डॉक्टर बनने का खाब है. पढ़ाई में हम सब काफ़ी अकचे हैं और घर का महॉल खूब अक्चा ही रहता है.

पूजा की 18 साल की बर्तडे माना कर एक महीना गुज़रा था के मा बाप ने सब को एक साथ लिविंग रूम में नुलाया.

बापू नें सब से पहले सब को भात्ने के लिए कहा, जब सब भइत गये तो कहने लगे: “अब मैं तुम से जो बात कहने जेया रहा हूँ वो शायद ही किसी घर में कही गयी होगी, मगर तुम सब अब बड़े होगआय हो. पूजा भी अब 18 साल की होगआई है….”

उन्हो ने रुका और में कुछ परेशान होने लगा आखेर क्या प्राब्लम हो सकता है.

“तो सब से पहले मैं तूँ से एक अनोखा सवाल करना चटा हूँ. उस का बिल्कुल सच जवाब देना, बिल्कुल बिना डरे. कोई घुस्सा नहीं होगा. ठीक है?”

हम सब अपना सर हिलाया.

“चलो ठीक, सब से पहले मैं बड़े से शुरू करता हूँ. राज… बताओ के तुमहरा ध्यान कभी छोड़ने की तरफ जाता है?”

मैं सापाते में आगेया. भाई ये कैसा सवाल है जो अपना बाप बेटे से करता है. मैं ने धीरे से जवाब दिया के हन, छोड़ने पर ध्यान जया करता है. और मेरे बापू को मुस्कुराते देख कर तोड़ा हिम्मत भी बड़ी.

“और जाना भी चाहिए.” उन्होने कहा. “जवान हो, लंड है, औरत को देखोगे तो ध्यान उस तरफ जाएगाना? ये बताओ, कभी अपने घर वलाओं को छोड़ने की तरफ ध्यान गया?”

मेरी आँखें बड़ी होगाएँ. “जी?” शायद मैं ने घालत सुना है.

“हन, तुम्हारी मा कोई बुड्सुरत बूढ़ी तो नहीं है, अभी काफ़ी सेक्सी है और एक बाहें भी जिस को देखकर मुर्दे का भी लंड खड़ा होज़ाये. क्या कभी उनको छोड़ने को मान कहा.”

“जी हन.” मेरी आवाज़ एक जकड़े हुए चूहे की तरह थी.

“किस को? रीता को या पूजा को?”

“दोनो.”

“बहुत अक्चा.” उन्होने सतीश की तरफ प्लाटा तब मेरे जान में जान आई. “सतीश, ये बता तेरा का हाल है.”

सतीश ये सब सुन कर ज़रा मुझसे ज़्यादा बोल्ड होगआया था. “बापू पता नहीं, क्बाही क्बाही आता कभी मुझे लड़कियाओं से कोई दिलचस्पी नहीं लगती. मैं कभी कभी कोई लंड देखता हूँ तो मुझे वो छूट से अक्चा लगता है.”

“ह्म. ये तो तो तिझे पता लगाना पड़ेगा के कहीं तू गे तो नहीं. वैसे अगर हो भी तो कोई बात नहीं. ह्म. पूजा बेटी तू बता अब.”

पूजा सब से छोटी होने के नाते बड़ी चंचल थी. उसने मुस्कराते हुए कहा. “बापू मुझे तो हर लड़के को देख कर छोड़ने का ख़याल आता है. और घर बात, मैं ने काई बार ध्यान ही ढयन में अब सब से छुड़वा लिया है. और आप का लंड भी एक बार देखा है मैने.”

“ह्म, चलो बात सब सामने आगाय.” वो भी कुर्सी पर भइत गये. “सच तो यह है के हमारा खून ही कुछ ऐसा है. मैं भी अपनी जवानी में अपनी मा और बाहें को खूब छोड़ा है. और रीता का भी मान करता है वो अपने बाकचाओं के लंड रस चख ले. हम यह सोंच रहे हैं की छोड़ने छुड़ाने का सब को मान करता है, इस पहले हम नाहेर जेया कर छोड़ने लगे, पता नहीं कैसी कैसी बीमारियाँ लगले हम सब घर में ही क्यों ना बात को रकखें?”

“क्या हम बाहर वेल से कोई रिश्ता नहीं रख सकते?”

“क्यों नहीं? तुम सब को शादी तो करना ही है. मगर मैं ये चाहता हूँ के चुदाई घर तक ही रखें, जब शादी जो जाए तो तू पाने हज़्बेंड के साथ छोदवालिया करेगी और ये लोग अपनी बीवीयाओं के साथ. तब तक सिर्फ़ घर में.”

“जी बापू.” मैं बड़े भोलेपन से कहा.

“लेकिन बापू, आप ने तो अपने बारे में नहीं बताया?” पूजा ने कहा.

“अछा, क्या जान ना चाहती है?” बापू मुस्कराते हुए पूछा. “हन, तुझे देख कर मान तुझे छोड़ने को करता है. बस एक बार तुझे अपने सामने घुटने टेक कर मेरे लंड को अपने मून में लेते देखूं तो मज़ा आजाए.”

“ची बापू, लंड मून में थोड़ी ही लेते हैं.”

“अरे मेरी जान, लंड तो जर जगह लेते हैं. मून में, गांद में, छूट में. और तेरी मा तो इस तीनों की एक्सपर्ट है. तुझे सिकड़ेगी.”

“सच? सिख़ावगी मा मुझे लंड के बारे में?”

“हन क्यों नहीं. मगर पहले ज़रा बात तो पूरी हो जाने दे.”

“और क्या बात रह गयी है?”

“कुछ रूल्स.” बापू ने कहा. “सब से पहले के हम जब सूब अकेले में होंगें तो एक दूसरे के सामने नंगे रहसकते हैं. दूसरी ये बात किसी और को पता नहीं चलना छाईए. कोई एक दूसरे के साथ ज़बरदस्ती नहीं करेगा.”

“मंज़ूर.” हूँ सब ने एक आवाज़ हो कर कहा.

“तो आज रात के खाने के बाद तेरी मा तेरे सामने मेरा लंड चूस्के बताएगी के लंड कैसा चूसा जाता है.” हम सब खाने पर लग गये. मेरा लंड तो बस सोने का नाम ही नहीं लेता, और देख रहा तट के बापू और सतीश के पॅंट्स में भी यही हाल था. हम सब खाने के बात लिविंग रूम में फिर एख़ता हुए. मा ने बीच कमरे में खड़े हो कर कहा: “चलो सब अपने कपड़े उत्ार्डो. ज़रा मैं भी देखूं के मेरे बेटाओं के लंड कैसे लगते हैं.

जूम सब नंगे होगआय. टीन खड़े लंड दो और्ताओं को प्रणाम करते रहे. मा नें पहले मेरा लंड अपने हाथ में लिया, बड़ी प्यार से उसे स्ट्रोक करते हुए कहा: “राज तू तो अपने बाप से भी हॅंडसम है. ज़रूर तेरा वाला ज़्यादा मोटा और लंबा है.”

फिर मा सतीश की तरफ मूढ़ कर उसका लंड को पूजने लगी. मैं बापू की तरफ देख रहा था. उसका लंड मेरी बाहें के हाट में था, और मेरी नज़र मेरी नहें की सक़त और गोल गांद पर. दिल चाह रहा था के उसकी गांद पकड़ कर आम की तरह दबाऊं. शायद बापू मुझे देख कर मेरी सोंच का अंदाज़ा लगालिया और कहा: “अरे राज, सिर्फ़ देखता क्या है, पकाड़ले उस की गांद, चूमा ले.”

मैं बादने ही वाला था के मेरी मा बोल पड़ी: “नहीं. आज तुम बाप बेटी मज़े लेलो. आज तो ये दोनो लंड मेरे हैं. इन्हे तो मैं एक साथ लूँगी, क्यों रे राज, छोड़ेगा नहीं अपनी मा को. सतीश, क्या कहता है. क्या तुम दोनो को में आक्ची नहीं लगती?”

“क्या कहती हो मा, तुम तो किसी से कम नहीं. मेरा लंड तो तुमहरा है.”

“हन तो फिर आजओ दो क़रीब, पहले दोनो को चूज़ कर तुमहरा रस पीलून. वैसे भी लगते है के ये ज़्यादा देर तक रहने वेल नहीं हैं, और मुझे तो देर तक छुड़वाना है. पहले एक बार रस निकालदून तो दूसरी बार देर तक छोड़ सकोगे.”

वो अपने घुटनाओं पर आके हम दोनो भाइयों के लंड को स्टोक करने लगी. फिर पहले मेरे लंड को अपने मून में लिया और पलट कर कहा पूजा से. “देख पूजा, लंड ऐसा मून में लेते हैं.”

मेरा लंड उसके मून में नाहुत अक्चा लगा, मैं उसके मून का मज़ा लेता रहा आँकें बंद करके. वो दोनो को छ्होसने लगी, जब ऐसा लगता के मेरा लंड झड़ने वाला है तो वो मेरा लंड को छोड़ कर सतीश का लंड संभालती, फिर जब वो ग्रंट करने लगता तो मेरे लंड. उधर पूजा पहले तो ज़रा दर दर कर फिर, जैसे बापू उसे बताते गये और वो मा को डेक्त्ी रही तो ऐसे चूसने लगी के जैसी साल्ाओं से चूस रही हो.

मा ने उस से कहा. “ज़रा संभलकर बेटी, लंड को जितनी देर तक नहीं झड़ने डोगी यूटा ही मज़ा तुझे भी मिलेगा और उन्हे भी. जब वो कहें के झड़ने वाला है तो तू उसे छोड़ कर कहीं चूमे ले, और जब वो कहें के वो नहीं रुक सकते तो अपने मून में ले और उनका रस पीजा.”

बुत ऐसा लग रहा था के मेरी बाहें को कुछ लेसन्स की ज़रूरत नहीं थी वो तो बड़े मज़े अपने बाप का लंड चूज़ रही थी. इधर स्तैश झड़ने ही वाला था मेरी मा मेरा लंड को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी, और दोनो लंड को एक एक हाथ में लेकर स्टोक करती रही पानी मून के क़रीब लेजकर. पहले सतीश फिर मैं दो पानी के ताप की तरह खुल गये, जितना होसका मा अपने मों में लिया, और बाक़ी का अपने बड़े बड़े बूब्स पर गिरने दिया और अपने स्किन में क्रीम की तरह लगाने लगी. हम दोनो ख़तम ही नहीं हुए थे के उधर पूजा की चीक़ सुनाई डी. बापू ज़ोर दर आवाज़ के सात अपना लंड उसके मून में अंधार बहेर छोड़ रहे थे. और झाड़ रहे थे, कुछ दूध निकालकर पूजा के मून के कॉनाओं से बाहर भी आरहा था.

जब हम तीनाओं सोफे पर बैठ गये तो मा ने कहा. “क्यों पूजा बेटी, अब भी कहो गी ची मून में नहीं लेगी?”

“नहीं मा. बापू का जूस बड़ा मज़ेदार है. ले तो मून में रही थी मगर मज़ा मेरी छूट तक पहुँच रहा था.”

“हन बेटी, चाहे किधर भी लंड हो, आखेर मज़ा छूट में ही पहुँचता है. और सच पूछो तो जब तक तींोआन सुराक़ओं में लंड का रस ना पड़े तब तक चुदाई पूरी हो ही नहीं होती.”

“ऊई मा! क्या इतना बड़ा लंड मेरी गांद में आएगा? इसे तो अपने छूट में आने के सोंच कर दर लगता है.”

“छूट में भी आएगा, बेटी, और गांद में भी. हन यह ज़रूर है के पहली बार तुझे दर्द होगा. छूट में उतना नहीं मगर अगर छोड़ने वाला अनारी ना हो तो वो तुहजे आहिस्ता आहिस्ता लेजाएगा. और तेरा बाप कोई अनारी नहीं. वो तो मेरी मा की गांद तक मारा है.”

“सच बापू?”

“ये सब कहानियाँ बाद केलिए. अब ज़रा लंड फिर चूस कर मुहज़े तय्यार कर के मैं तेरी छूट का ँज़ा लून.”

मा ने कहा: “हन ज़रा चुदाई हो ही जाए. और सब बैठ कर देखेंगे. बाप बेटी का मिलन पहली बार तो देखने खाबील होगा, और जब बेटी की पहली चुदाई हो तो फिर क्या बात. क्यों बाकचो रुक सकोगे उतनी देर तक.”

सतीश ने कहा: “मा हमेरी लिए तो सारी रात पड़ी है. पूजा की पहली चुदाई तो फिर खाबी नही मिलेगी.”

मैं के कहा: “और फिर मा, तुझे छोड़ते हुए भी पहली बार होगा और बापू को ये मज़ा तो देखना चाहिए.”

“तो ऐसा करतें हैं की हम अपने कमरे में चलेजायें. वहाँ ज़रा अर्रम मिलेगा.”

हम सब मा और बापू के कमरे की तरफ लपके. वहाँ बापू ने पूजा को बिस्तर पर लिटाया, पहले आहिस्ता से उसकी तँगाओं को अलग किया, अपनी उंगली उसके छूट डाली और फिर अपने मों में लेकर कहा: “यार रीता यह तो गरम और रसेली है. बड़ी मज़ेदार भी है.”

“क्यों नहीं रहेगी. आख़िर बेटी किस की है. और फिर जवान लड़की का रस रस तो और नशेला होना चाहिए ना?”

बापू कुछ देर तक तो अपनी उंगली से छोड़ते रहे. फिर मा के कहने पर झुक कर पूजा की छूट पर अपना मून मार दिया. बस क्या पूछना था के पूजा जैसे ट्रॅन्स में आगाय हो. वो ना जाने क्या कह रही थी, बात कुछ समझ में नहीं आरही थी. बस उसके मून से बापू बापू समझ आरहा था. हम ये तमाशा देखते रहे. क़रीब आधा घंटा बापू ने उसकी छूट चूसी, और फिर लंबी लंबी साँसे लेकर अपना चेहरा हम दिखाया. उनकी पूरी नाक से नीचे गीली थी. पूजा आधी बेहोश पड़ी आवाज़ें निकलराही थी.

इसके बाद जरूर पढ़ें  साइबर कैफे वाले ने मेरी कोमल चूत को बेदर्दी से चोदा

“तोड़ा बाकची को संभालने ने टाइम दो आलाश. हन बड़ी आक्ची छूट खाई है. यार इस तरह मेरी छूट छाते हुए साल गुज़र गये.”

मैं फ़ौरन केहदला: “मा हम जो हैं अब तेरी छूट चाटने केलिए. बस कह कर देख हम तेरी रसेली छूट रात रात भर चतेग्ीएँ.”

“जुग जुग जियो बाकचो.”

अब बापू ने अपना लंड अपने हाथ में संभाल कर पूजा की छूट की तारा लेगाए. उसकी छूट के दावरज़े पर लंड रख कर अंदर डालने लगे. पूजा ने आँकें खोल डी. “ओह बापू कितना बड़ा है आपका का लंड. ज़रा धीरे से. नहीं…. नहीं…. जल्दी से. तोड़ा और अंदर डालो.”

बापू ने फिर एक झटके के सात अपना पुया लंड पूजा के छूट डाल दिया. पूजा आ ज़ोरदरा चीक़ मारी और बापू से लिपट गयी. “ओह बापू दर्द होता मगर अक्चा भी लगता. बापू तूने मेरी छूट भार्डी, ओह बापू कितना अक्चा लगता है तेरा लंड मेरी छूट में.”

उसकी साँस फहोलने लगी और बापू उसकी छूट के अंदर बाहर होते रहे, थोड़ी देर के बाद उन्हो ने पाना पोज़ बदला, वो नीचे आगये और पूजा उनके छाती पर हाट रख कर आहिस्ता आहिस्ता उपर नीचे होने लगी. उसका ये रूप बड़ा सुहाना था, उसके माममे इनटी सेक्सी स्टाइल से तरकते के में देखते ही रह गया. मा शायद मेरी तरफ देखा, इसलिए कहा. “बड़ी जानदार छाती है ना पूजा की, बिल्कुल मेरी ही तरह जब मैं उस उमर की थी.”

कुछ देर बार बापू फिर पलते, वापस पूजा को नीचे लेकर इस बार ज़ोर ज़ोर से छोड़ने लगे. अब दोनो ही आवाज़ें निकलरहे थे. बापू किसी शेर की तरह हर झटके के बाद घ्रते और पूजा कभी आय मा, क्बाही बापू काहबी छोड़ो केटी. एक बार बापू ने दोनो हटाओं से उसके टिट्स को पकड़लिया और अपने होन्ट उसके होन्ट उस के होन्ट के खरीब लेजकर टूटती हुई सांस से कहने लगे. “ले मेरी बेटी, अपने बाप का शेरबात अपने छूट में सम्ब्हल”

पूजा एक ज़ोर दार आवाज़ से चीलाया “बपुउुुुुउउ……” और उसका बदन अकड़ गया. ऐसा लगता तट के वो दोनो इसी पोज़ में रात गुज़र देगें. फिर बापू आहिस्ता आहिस्ता अंदर बाहर होते हुए अपने सॉफ्ट होते हुए लंड को बेर निकाला. बापू की साँस अभी भी उखड़ी हुई थी. में पूजा की छ्होट को देख रहा था, जिस के होन्ट अब भी कुलराहे थे फिर बंद होरहे थे. बापू का सीमेन उस में से निकल रहा था. उसकी छूट गहरी लाल थी. मैं ने सोनचा की मैं भी इस की छ्होट का ये हाल करूँ गा, मैं अपना रस उसके छूट में से निकलता देखना चाहता था. मगर पहले मैं अपनी मा की छ्होट को इस से भी ज़्यादा लाल करना है.

एक लंबी साँस लेकर मा की तरफ मुड़ा. “मा, मुझे ऐसा ही तुझे छोड़ना है.”

“हन मेरे बाकचो, आओ. आज दोनो एक के बाद एक मुहज़े छोड़ो. मैं ने पहले सोनचा था तुम दोनो को एक साथ लूँगी, मगर अब सोचती हूँ आग्र एक के बाद एक दो टीन बरी छोड़ोगे तो और मज़ा आएगा. ना तुम्हारे लंड कहीं भागे जारहें हैं ना मेरी गांद.”

“दो टीन बरी?”

“हन पहले सतीश मुझे छोड़ेगा, फिर जब वो ख़तम हो जाए तो तुम आना मेरे अंदर, तब तक या तो पूजा सतीश का लंड चूस्के उसे खड़ा करेगी या वो खुद ही अपने को खड़ा करलेगा. जवाब हो, टीन चार बार एक रात में तो छोड़ ही सकते हो.”

मैं ग्रीन कर रहा था. “तो सतीश, भाय्या शूरू होज़ा.”

“आ बेटा सतीश, लंड मेरी छूट में डाल और मेरी निपल्स अपने मून में.”

पूजा, बापू और मैं डेक्ते रहे, सतीश मा को छोड़ता रहा, मा उसे दीरेसए छोड़ने केलिए कहराहि थी और वो तो बस आ बिना ब्रेक की ट्रेन की तरह जा रहा था. मैं ने पूजा के तरकते हुए बूब्स देखे थे, मा के तो उस से भी ज़्यादा तरकरहे थे और सेक्सी भी थे. सतीश ज़्यादा देर तक ना रह सका, वो सिल्लाता हुआ एक झटका दे कर अपनी सीमेन मा की छूट में डेपॉज़िट करने लगा. मा उसे देख कर मुकरा रही थी. मैं मा के उपर चाड़गाया. मुझे तो मा को आहिस्ता आहिस्ता मज़े लेके छोड़ना था. मैं आहिस्ता आहिस्ता उसे छोड़ता रहा. मा आहें भारती रही छोड़ने को एनकरेज करती रही.

“हन मेरे शेर, मेरे मोटा लंड वेल. लंबे लेम स्टोक्स लगा. मेरे टिट्स को कस के पकाड़ले. और दबा, ज़ोर से दबा.” मेरी मा ंजूहे छोड़ने के सीक्रेट्स सिखाती रही. “हन बहुत अकचे बेटा. अब आहिस्ता से सर तक लंड बाहर निकल… आहिस्ता… हाँ रुक जा…. ऐसे के सोंच रहा हो के इस छ्होट को लंड दे या ना दे. अब एक ज़ोरदार झटके के साथ पुर लंड को डालडे. नहीं बेटा, डरता क्यों है, छूट फटेगी नहीं, कुछ दर्द नहीं होगा. ज़ोर से एक झटका मार के पूरा पलंग हिलजये. पलंग तोड़ झटका मार.”

मैं अपने हाथाओं से पलंग पर शरा लिया और मा के कहने स्टाइल से एक ज़ोरदार झटका लगाया. मा का बदन, स्पेशली उसके टिट्स ऐसे हिल गये जैसे के अर्तक्वेक आगया हो. मा ने चीक कर हहा: “हन मेरे शेर, ऐसा ही छूट फाड़ने वेल झटके मार.” बापू, पूजा और सतीश पलंग छोढ़ कर हट गये और ठहेर कर देखने लगे. “वा मेरे बेटे, छोड़ अपनी मा को जैसे मैं उसे जवानी में छोड़ा करता था.” मेरे बाप ने चीलाया. पूजा ने कहा: “वा भाय्या, और फिर ऐसा ही झटका… वाउ”

मैं इतनी एनकरेज्मेंट मिलने पर और भी शेर हुआ. लगातार लंड को बाहर तक निकलता और ज़ोरदार झटके के सात पूरा अंदर डाल देता. मा के ये हाल के वोपता नहीं क्या बक रही थी, में अपने काम में मगन रहा. इतना करता रहा के दोनो पसीने से भर गये और जब मैं मा की छूट में फटा तो वो आधी बिस्तर से उठते हुए मुझ से चिमत गयी. अब वो भी अपनी कमर मेरी लंड की तरफ ज़ोर से दबा दिया.

जब उसे छोढ़ कर हटा तो उस की छ्होट लाल थी, वोही नहीं बलके पूरा गोरा गोरा बदन लाल था. उसे हाँपते हुए छोढ़ कर मैं ज़मीन पर लाइट गया. पूजा ने आ ग्लास पानी का मुझे दिया ओहिर मा को भी पिलाया, वो एक घहॉन्ट पी कर वापस लाइट गयी और सतीश उस पर टूट पड़ा.

बापू ने कहा: “पूजा, देख तेरा भाई कैसा पड़ा है, जेया उसके लंड को चूस कर पहले तो अपनी मा के रस का मज़ा ले और ज़रा उसे सॉफ भी कर.”

मा उधर फिर अपने दूसरे बेटे की लंड पर ऑर्गॅज़म हो रही थी. यहाँ पूजा ने आहिस्ता आहिस्ता अपनी ज़बान से मेरे लंड को निहारा. बड़ा अछा लग रहा था उसका इसतरह लीक करना. फिर वो उपर आकर कहने लगी. “भाय्या, अब मुझे भी वैसा ही छोड़ो प्लीज़.”

“नहीं पूजा. तुझे पता है ना आज सिर्फ़ मा के लिया है. लायकिन वाडा करता हूँ के कल की रात तेरे नाम करता हूँ.”

वो बापू की तरफ पलट गयी: “तो बापू ओफ़िर तुम ही मुझ छोड़ो. बहुत गरम हो रही हूँ.”

बापू का लंड न्ही अब खड़ा हुआ था, वो तो उसे ज़मीन पर ही छोड़ने लगे. उधर सतीश अपना रस मा की छूट में डाल कर हंम्प्ता हुआ मेरे बाज़ू लाइट गया. मैं अब फिर तय्यार था. मा मुझे आते देख कर धीमी सी आवाज़ मे कहा: “नहीं बेटा अब तोड़ा आराम करने दे, छूट जल रही है मेरे दो शेरावं के लंड से.”

“मा तू तो रात फार छुड़वाने वाली थी. यह क्या एक ही बार में दर गयी.”

“अब मैं इतनी जवान कहाँ बेटा… जवान होती तो तुम तीनों को सुबे तक आदमारा छोढ़ती. आग्र लंड आकड़ा हुआ ही है तो चल गांद ह्िॉ मार ले. मगर तोड़ा उंगली से तय्यार कर पहले.”

मैं अपनी मा की छूट मैं उंगली डाल कर गीला किया और उसे उस की गांद में डॉल कर अंदर बाहर करने लगा. उतनी दायर ना लगी और जब अपनी लंड उस में डाल दी तो ऐसा लगा जैसे लंड को कोई मुति में कस के पकड़ लिया हो, बड़ी टाइट थी और गरम. मई अपने हाट आयेज करके मा के टिट्स को पकड़ कर मातने लगा और औकी गांद मरता गया. पता नहीं कितना वक़्त गुज़र गया, मगर जब मैं झड़ने लगा तो मज़ा पहले सी ज़्यादा आया. हम दोनो फिर लाइट कर एक दूसरे को किस करने लगे. उस के सूजे हुए माममे और भी बड़े लग रहे थे. उस का सूजे हुआ हिंट, आँकें, काली काली आँकें जो नशे में लग्रा थी.

उधर बापू भी एक बार फिर चिल्लती हुई पूजा में झाद्राहे थे. इधर मा उठी और हम सब से कहा के अब सब अपने कमराओण में चलें जायें. वो तक गयी थी.

पूजा ने नूरा सा मून बनाया. “मुझे और छुड़वाना है मा.”

“तो जेया अपने कमरे में लेजकर अपने भाइयों से चुदवाले.”

हम सब मेरे कमरे में गये, पूजा को मैं ने कहा के पहले सतीश से छुड़वा ल्व फिर मैं पलंग तोड़ छोड़ूँगा. मुझे तोड़ा सुसताना भी था और में अपनी बाहें को पहली बार ठीक तरह से सुबे तक छोड़ना था.सतीश भी काफ़ी दायर तक उसे छोड़ता रहा. जब उसने अपना रस अपनी बाहें में छोड़ कर हटा तो मैं तय्यार था. मैं पूजा को पलटा कर पीछे से लेने लगा. उसके बाल पकड़कर कुट्टी की तरह छोड़ने लगा. “अक्चा लग रहा है भाई का लंड अपनी छूट में?”

“हन भाय्या, बॉल ज़ोर से खीँचो, काटो मुझे. बड़ा मज़ा आरहा है.”

उसके पीट पर अपने दाँत मारे. वो तिलमिला कर और ज़ोर से मेरी तरफ होने लगी. मैं उसकी गांद पकड़ कर मसलता हुआ छोड़ता रहा. “ओह राज… बहिय्या क्या क़ूब छोद्राहे हो. मेरी जान मैं आराही हूँ. मेरी जान…..”

मैं तो एशिया था के एक घंटा और छोड़ने पर तुला हुआ था. सूरज अब निकालने ही वाला था, मगर इस की किस को परवा. मैं छोड़ता रहा, वो इस तरह ऑर्गॅज़म हो रही के जैसे समंदर की वेव्स, एक बार उस का ऑर्गॅज़म ख्तम भी होने ना पाता के दूसरा शुरू होजता.

“भाय्या. राज मुझे पलटने दो. हन मुझे किस करके छोड़ो. पकडो मेरी माममे. मसल दो मुझे मेरे बदन को. हन ऐसा ही, ग्रर्ग… राज… राआाज.”

इस बार जो मैं शूट किया तो ऐसा लगा जैसे रुकने वाला नहीं. काई मिनिट तक मेरा लंड उसके छूट में थरथरता रहा. आखेर में अपना मुरझा हुआ लंड निकाल कर पूछा.

“क्यों पूजा, कैसा रहा?”

वो धीमी सी आवाज़ में कहा: “तुम बताओ राज, तुम्हे बाहें की छ्होट कैसी लगी.”

“ज़बरदस्त. ऐसी टाइट है तू और गरम. बस मज़ा तो तेरी छूट चूस कर बताओंगा.”

“कल चूसना. आज तूने मुझे तका ही दिया.”

“सोजा… मुझे भी लंबी नींद मारनी है.”

* * *

मैं दोपहेर तक सोता रहा. क़रीब एक बजे मा मेरा लंड चूस कर मुझे उठाया. मुझे उठा देख कर कहा: “चुप से पड़े रह. मुझे अपना रस पीला.”

हमारी ज़िंदगी इस तरह गुज़रती रही. पहली रात का छोड़ना आहिस्ता अहसता ज़रा कुछ ठीक होने लगा. मगर यह ज़रूर था दोनो औरताओं को कभी कूंडकि कमी नहीं हुई, ना ही हम को कभी छूट की कमी नहीं पड़ी. मा तो बस तीनाओ के पास बरी बरी सोया करती. पूजा मगर बिल्कुल न्मयफ़ो बांगाई, वो अब्पू से छुड़वा कर मेरे पास आती. फिर सतीश के पास जाती.

एक दिन सतीश के कहने पर मैं उसकी गांद भी मारा. वो कहता के उसे गांद मरवाना अक्चा लगता था, माग्र छोड़ना भी अक्चा लगता था. वो तो बाइसेक्षुयल निकला. मैं पूजा की गांद कभी नहीं मारी. वो तो ये कहती थी के अपने पति के लिए कुछ तो कुँवारा रख ना चाहिए.

मैं इंजिनियरिंग की डिग्री के बाद स्कॉलरशिप पर स्टेट्स चला आया. मेरे पीछे सतीश भी आगेया. हम ने बहुत सारी लड़कियों छोड़ा. स्पेशली गोरियों को. मगर अट लास्ट मुझे अपनी लाइफ पार्ट्नर मिल गयी. एक बड़ी लंबी और सेक्सी गुजराती लड़की जो मेरे से एक साल नीचे थी और फिलॉसोफी में मास्टर्स कर रही थी. उसके फॅमिली यहाँ काई साल पहले शिफ्ट होगआय थे. दोनो में बड़ी केमिस्ट्री थी. हम अक्सर सात रहा करते, घूमने फिरने भी साथ जाते.

और तो और, मुझे छोड़ते वक़्त जब हम फॅंटसीस की बातें करने लगे तो वो मुझे बताया के वो सतीश और मेरे साथ एक साथ छुड़वाने की फॅंटेसी देखा करती थी. इस पर तो मैं बहुत खुश हुआ. उसे अपने घर वलाओं के बारे में बताया, किस तरह हम फ्री रहते थे.

दूसरे दिन हिज़ वो सतीश का लंड चूस रही थी और मैं उसे छोड़ रहा था. जब हम शादी करके घर आए तो बापू ने उस के छूट का मज़ा लिया. पूजा की भी शादी हो चुकी थी, मगर उसका हज़्बेंड ज़रा पुराने ख़याल का था. इसलिए जब वो घर हम से मिलने अकेले आई तो अक्चा लगा.

“वैसे भी भाय्या. एक चीस तुमेह देनी थी.”

“अक्चा? क्या?”

“तुम ने मेरी गांद नहीं मारी, बहुत चाहते थे ना. चलो अब वो कुँवारी भी नही और मुझे उस मज़ा भी लग गया है. अगर भाबी को कुछ प्राब्लम ना हो तो आज मेरी गांद लेना.”

सब लोग हमारे अतराफ् खड़े रहे, मैं अपनी छोटी बाहें की गांद खरीब दो घंटे तक मारता रहा. इस बार मज़ा ही कुछ और था.

हम वापस सट्तेस आगाय. कभी क्बाही सतीश हमारे साथ आकर रहता है. तीनो आज भी बड़े मज़े लेते हैं. अब मेरे दो बाकछे हैं. सतीश ने शादी नहीं की.

मा आज भी उतिनी ही सेक्सी लगती है जैसे के पहले थी. जब वो हमारे साथ रहने आई जब बीवी प्रेग्नेंट थी तो बड़ा सहारा मिला. यही के कोई घर पर उस की देख बाल केलिए था और फिर मेरे लंड अकेला भी बहिन पड़ता.

मा वापस चली गयी और हम यहाँ हँसी खुशी रहते हैं.



Mujhe lumba tagde lund se apni choot chudwana hai sex storyमामी कि हिंदी सेस्‌स स्‌टोरीBhai or badi bahan ki suhagrat manai goa meकहानि गाँव कि जवान लरकिbahen rep sex kahni hindi mejethji ne land fhsayaastable me maa ki gand thukai ki kahanidade ne mujko jabrdaste sexkeya storesafar me chud gyi ki kahaniHindi sex kahani antrvashna देवरानी जेठानी को नोकर ने मोठे लुंड से चोदchut me lund liya story nokar se chudai hindi kahaniya "kali" didi vidhva moti gand kahaniरेखा भाभि बियफ कहानितारा की चुत मारी किराये के बदले मे कहानीशादी के बाद मयाके मे बहन भाई कि चुदाईRead in hindi sex rap story in hindi sas ke gand k fotobhateje se xxx storys hindisexy kahani bhai bahan mama ki shadi meBhabi ko rat ma gand ma choda hindi kahaniबुर बेशर्म चाची की रात भारऔरत को कैसे चोदने मे जयादा मजा आता हैbhai bhen kee asal chudai kee khaniचोदाई चोदाई कहानीबुर चुत लंड की लिखी काहानीma ke sath group sex kahani xyzbibi sex kahanisis chut kahani sexmami n bude admi s gand marvai kahaniबॉयफ्रेंड ने चोदकर पेट से किया स्टोरीrat ke andhere me soyi hui bhabhi ko chodne ki storyपापा मेरी गाडं फट जायगीSex story oldसुहागरात मे जबरदसती चुदाइ कहानीपायल अटी xnxx storyma.beti.xxx.kahanicut Cudaisuhagrat ki khani hindi sex chuda kahanisexe segi buwa ke cudi holi ke din sexe storyचुदाई काहानी परिवारिक शादीशुदा फुदी Choda chudai sex kahani storyयूं किर्या कहानीगरमी मेँ पायल भाभी की चोदाईकहानीXxxcom video वहीनीmeri bahan ki chudai habsiland se sex kahaniya hindi mechacheri bahan ko bandh kar jabarjasti behrami se chodai ki kahniलडकी कि चुत मेँ लंड जाने पर कैसा आवाज निकलता हैँ हँट कहानीma beta sex kahanima beta ka cudai vala payr hide khaniyaantarvasna mom ki chudahai dakhiसेक्स कहानी दीदीsali ko chodai ja maja diya hindi storisभाभि को पतनि समज कर गलति से चोदा हिदी कहनियHindi sex story Bahen ko chid diyaxxxbfsaasburitarike xxx kahaniya Hinde jokasससुर बहु कि जमकर चुदाई डाँट काँम सटोरी हिडिओ 22 sal ki vidhava ladki chudaijimidar ki larki ki cudae ki khar mae sex stori hindibahan rakhi porn storymuosi ne diya chudai ka giyan khanimother aur didi ki ek sath chudai ki hindi khaniaMakan malikin ne kirayedar ladke k sath kiya xxx videoSachchi sex story in hindiTeen xxx kahaniमाँ की चुदाई लिखा हुआSali Jija Ki Chudai KahaniMaa ki bus me jabardasti chudaiहवालात मे मेरी गाड मारी कहानियामामी चुद गई सोते हुए मामा समझकरChote bhai ke sath chudai story antarvarsa.comमेरे ससुर ने चुत फाडी कि कहानिलोडाऊन मे माँ को चोदा कहानीsex kahaniy achechache ke choda sexy storymummy ko guard ne sex storyBur choda gand mara sexy kahaniफूली गाङ कि चुदाई